और सर्वसम्बधों से प्यार करते हैं...........वह भगवान के प्रिय बनते हैं। और सर्वसम्बधों से प्यार करते हैं...........वह भगवान के प्रिय बनते हैं।
मन निर्मल दर्पण की भांति है सुख शांति। मन सागर पीड़ा गोताखोर लाई कविता। मन निर्मल दर्पण की भांति है सुख शांति। मन सागर पीड़ा गोताखोर ...
उनकी पूरी तरह से सटीक व्याख्या नहीं की जा सकती उनकी पूरी तरह से सटीक व्याख्या नहीं की जा सकती
ओर मैं उसके चहरे को गौर से देखने लगी। ओर मैं उसके चहरे को गौर से देखने लगी।
"तो फिर आज के लिए इतना ही। धन्यवाद।" "धन्यवाद,चाचाजी।" "तो फिर आज के लिए इतना ही। धन्यवाद।" "धन्यवाद,चाचाजी।"
पहले मेरा ये कहना था मेरा की" पहले आत्मा तब परमात्मा" अब तो यह कहना हो गया।कि "पहले पर पहले मेरा ये कहना था मेरा की" पहले आत्मा तब परमात्मा" अब तो यह कहना हो गया।कि "...